मध्यप्रदेश की प्रमुख रियासतें -1
August 15, 2021MPPSC मैन्स पेपर 1 इकाई -5 मध्यप्रदेश की प्रमुख रियासतें : गोंडवाना , बुन्देली ,बघेली , होलकर , सिंधिया , एवं भोपाल रियासत
मध्य प्रदेश में राजवंशीय इतिहास मुख्यतः सम्राट अशोक के कार्यकाल से शुरु होता है अर्थात मध्यप्रदेश में मोर्य साम्राज्य से राजवंश का उदय हुआ , मौर्य साम्राज्य मालवा और अवंती में शक्तिशाली था। कहा जाता है कि राजा अशोक की पत्नी विदिशा से थी, जो आज के भोपाल की उत्तर में स्थित एक शहर था।
मोर्य साम्राज्य के पतन के बाद ई. पू. तीन से पहली सदी के दौरान मध्य भारत की सत्ता के लिए शुंग, कुशाण , सातवाहन और स्थानीय राजवंशों के बीच संघर्ष हुआ।
चौथी और छटी शताब्दी में मौर्य साम्राज्य के बाद गुप्त साम्राज्य का हिस्सा बन गया ,
गुप्तो के पतन के बाद मध्य भारत छोटे छोटे रियासतों में बट गया , इसके बाद मालवा , गोंडवाना , आदि रियासते प्रभुत्व में आई .
मध्यप्रदेश की प्रमुख रियासतें : गोंडवाना , बुन्देली ,बघेली , होलकर , सिंधिया , एवं भोपाल रियासत टॉपिक से 3 MARKER के प्रश्न और 5 5 मार्कर के प्रश्न बनते है. 11 अंक के प्रश्न की सम्भावना कम है ,
मध्यप्रदेश की प्रमुख रियासतें
गोंडवाना रियासत
मध्यप्रदेश की प्रमुख रियासतें में गोंडवाना रियासत प्रमुख है ,
गोंडवाना साम्राज्य का उदय नौवी शताव्दी में माना जाता है , मध्यप्रदेश महारास्ट्र आंध्रप्रदेश ,उड़ीसा, और छतीसगढ़ तक इनका साम्राज्य था , 14 वी शताब्दी में इस राजवंश का उत्कर्ष बढ़ा , मुग़ल के समय कुछ क्षेत्र स्वतंत्र रूप से या मुगलों के अधीन स्वायत रूप से चलते रहे , 18 वी शदी में यह क्षेत्र मराठो के अधीन आ गया.
मध्य भारत के गोंडवाना साम्राज्य का इतिहास बहुत प्राचीन एवं समृद्ध रहा है। यहां अनेक गोंड राजाओं ने शासन किया है। किंतु सर्वाधिक समय तक राजा यादवराय के 62 वंशजों(यादवराय से लेकर सुमेदशाह तक) ने शासन किया।
इस राजवंश के प्रमुख शासक :-
- राजा संग्राम शाह ,
- दलपति शाह,
- महारानी दुर्गावती ,
- राजा शंकरशाह एवं रघुनाथशाह ,
संग्राम शाह मरावी (48वें) (1400-1541) राजगौड़ वंश में महान प्रतापी हुए। इन्होने युद्ध करके अनेक राजाओं को हराया , 52 गढ़ और 57 परगना स्थापित किये। जो वर्तमान में महाकौशल रीवा -पन्ना और छतीसगढ़ क्षेत्र में आते है सुल्तान इब्राहीम लोदी ने इन्हे शाह की उपाधि भी प्रदान किये थे।
संग्राम शाह के उत्तराधिकारि दलपत शाह हुए , यह सबसे बड़े पुत्र थे , इन्होने सात वर्ष शांति पूर्वक शासन किया । उसके पश्चात उसकी वीरांगना रानी दुर्गावती ने राज्य संभाला और अदम्य साहस एवं वीरता पूर्वक 16 वर्ष (1540-1564) शासन किया। महाराजा संग्राम शाह की पुत्रवधु महारानी दुर्गावती (1548 ई०) की वीरता बेमिसाल है। महारानी ने मुगलों से युद्ध किया।
राजा प्रेमशाह(1599 ई०) एवं हिरदेशाह(1610 ई) की वीरता एवं उदारता के किस्से आज भी जीवंत हैं।
राजवंश के वंशज राजा शंकरशाह एवं रघुनाथशाह को अंग्रेजी शासन के खिलाफ 1857 में विद्रोह करने के कारण 18 सितंबर 1858 को मृत्यु् दण्ड दिया गया।
इस तरह गढा राज्य के शासक यादवराय के वंशजों का वैभवशाली शासन करीब 1400 वर्षों तक मध्य भारत में रहा।आज भी गोंडवाना के अवशेष मंडला जबलपुर जिलो में देखे जा सकते है ,
होल्कर राजवंश
मध्यप्रदेश की प्रमुख रियासतें में होलकर रियासत प्रमुख है , जिसका केंद्र वर्तमान इंदौर है .
होलकर राजवंश मल्हार राव से प्रारंभ हुआ , मुग़ल साम्राज्य के पतन के बाद मराठो का मालवा में अधिपत्य स्थापित हुआ , 1727 ई में मल्हार राव को मालवा का सूबेदार बनाया गया . 1730 ई को मल्हार राव को मालवा के शासक के रूप में नियुक्त किया गया . इस प्रकार होलकर राजवंश के संस्थापक मल्हार राव होलकर हुए . होलकर को मराठा महासंघ के लगभग स्वतंत्र पाँच शासकों में से एक के रूप में स्वीकार किया गया।
होलकर राजवंश के शासक
- मल्हार राव होलकर प्रथम
- मालेराव होलकर
- अहिल्याबाई होलकर
- तुकोजीराव होलकर
- काशीराव होलकर
- यशवंतराव होलकर प्रथम
- मल्हार राव होलकर तृतीय
- मार्तण्डराव होलकर
- हरिराव होलकर
- खांडेराव होलकर तृतीय
- तुकोजीराव होलकर द्वितीय
- शिवाजीराव होलकर
- तुकोजीराव होलकर तृतीय
- यशवंतराव होलकर द्वितीय (शासन: २६ फ़रवरी १९२६ से १९४८)
मध्य भारत में होलकर राजवंश की स्थापनी की . इंदौर इनकी राजधानी थी , उन्होने 1720 के दशक मे मालवा क्षेत्र में मराठा सेनाओं की कमान संभाली और 1730 ई को मल्हार राव को मालवा के शासक के रूप में नियुक्त किया गया, 20 मई 1761 को मल्हार राव की मृत्यु हो गई , उनकी मृत्यु के समय वह मालवा के ज्यादातर क्षेत्र मे शासन किया और मराठा महासंघ के लगभग स्वतंत्र पाँच शासकों में से एक के रूप में स्वीकार किया गया।
देवी अहिल्या बाई :-
मल्हार राव के बाद उनकी बहू अहिल्याबाई होलकर (१७६७-१७९५ तक शासन किया) ने शासन की कमान संभाली। उनका जन्म महाराष्ट्र में चौंडी गाँव में हुआ था। उन्होने राजधानी को इंदौर के दक्षिण मे नर्मदा नदी पर स्थित महेश्वर पर स्थानांतरित किया। रानी अहिल्याबाई कई हिंदू मंदिरों की संरक्षक थी। उन्होने अपने राज्य के बाहर पवित्र स्थलों में मंदिरों का निर्माण किया।
यशवंतराव द्वितीय (शासन : 1926- 1948 ) ने 1947 में भारत की आजादी तक इंदौर राज्य पर शासन किया। इंदौर को मध्य प्रदेश में 1956 में विलय कर दिया गया।
मध्यप्रदेश की प्रमुख रियासतें :- बुन्देली ,बघेली , सिंधिया , एवं भोपाल रियासत मध्यप्रदेश की प्रमुख रियासतें – 2 में .
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