मुग़ल शासक और उनका प्रशासन|3 Marker Mppsc History
August 29, 2021प्रथम प्रश्न पत्र (खंड अ ) ईकाई 2 : मुग़ल शासक और उनका प्रशासन
दोस्तों ईकाई 2 में यह टॉपिक – मुग़ल शासक और उनका प्रशासन सबसे अधिक महत्वपूर्ण है पिछले वर्षो के प्रश्न पत्रों का अध्ययन करने से यह ज्ञात होता है की इस टॉपिक से प्रश्न अवश्य ही पूछा जाता है , इशलिये हम इस टॉपिक से बनने वाले प्रमुख 3 मार्कर को पढेंगे .आइये देखते है मुगल
3 Marker Mppsc History | मुग़ल शासक और उनका प्रशासन
मुग़ल शासक और उनका प्रशासन
बाबर
- तुर्क मुसलमान , मुग़ल वंश का संस्थापक
- शासनकाल :-1526 – 1530 ई
- पानीपत युद्ध में तुगलमा युद्ध निति , एवं तोपखाने का प्रयोग
- आत्मकथा – बाबरनामा
शेरशाह
- अफगानी , सूर साम्राज्य का संस्थापक
- बिलग्राम युद्ध(1540 ई ) के बाद दिल्ली का शासक बना
- कालिंजर किले पर आक्रमण के समय मृत्यु
- भूमि माप के लिए सिकंदरी गज का उपयोग किया
अकबर
- मुगल वंश का महान शासक ,
- शासनकाल : 1556 – 1605ई
- साम्राज्य विस्तार नीति -युद्ध और विवाह ,
- कार्य :- दीन ए इलाही धर्म की स्थापना की , जजिया कर समाप्त , दह्सला बंदोबस्त लागु ,
नूरजहाँ
- वास्तविक नाम मेहरुनिस्सा , अली कुली बेग की विधवा ,
- मुग़ल शासक जहाँगीर ने विवाह कर मेहरुनिस्सा को नूरजहा की उपाधि दी ,
- इसने नूरजहाँ गुट बनाया , शासन पर प्रभाव स्थापित किया ,
दहसाल बंदोबस्त
- अकबरकालीन भू राजस्व व्यवस्था
- प्रारंभ : – 1580ई में वित्तमंत्री राजा टोडरमल द्वारा
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भूराजस्व :-फ़सलो से वसूले जाने वाले लगान का 10 वर्ष का औसत निकालकर, उस औसत का एक-तिहाई भू-राजस्व के रूप में निश्चित किया।
मनसबदारी प्रथा
- प्रारंभ :- सन् 1575 , अकबर द्वारा,
- मुग़ल काल की सैनिक नौकरशाही प्रथा की रीढ़ ,
- मनसब’ एक पद था जो बादशाह अपने पदाधिकारियों को प्रदान करता था। जिसको मिलता था वह मनसबदार कहलाता था ,
- मंसब दो प्रकार के होते थे, ‘जात’ और ‘सवार’।
मुग़ल प्रशासन की प्रमुख विशेषताएं
- केन्द्रीकृत नौकरशाही व्यवस्था परन्तु प्रांतीय प्रशासन की उपस्थिति
- प्रशासनिक कार्य के लिए मंत्रिपरिषद (विजारत )
- प्रशासनिक इकाई -> केंद्र -प्रान्त -सूबा -जिला -परगना – गाँव
मुग़ल काल के प्रमुख अधिकारी और कार्य
- वकील ए मुतलक – सम्राट के बाद दूसरा प्रमुख
- दीवान-ए – आला -वित्त विभाग का प्रमुख
- मीर बख्शी – सेना प्रमुख
दह्सला के अंतर्गत भूमि के प्रकार
- पोलज – प्रत्येक वर्ष खेती ,
- परती – एक या दो वर्ष के अन्तराल में खेती ,
- चाचर – चार वर्ष के अन्तराल में खेती,
- बंजर – खेती योग्य नही ,इससे लगान नही लिया जाता था ,
स्त्रोत :- विकिपीडिया , भारतडीसकवरी
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