प्रथम प्रश्न पत्र (खंड ब ): ईकाई 2 – खाद्य प्रसंस्करण एवं संबंधित उद्योग – सम्भावनाये और महत्त्व (Mppsc )
खाद्य प्रसंस्करण क्या है |what is food processing
खाद्य प्रसंस्करण ऐसी विधियों और तकनीको का समूह है जिसमे कच्चे पदार्थो को खाने योग्य तैयार उत्पाद में बदला जाता है जैसे आचार , मुरब्बा आदि . इसमें पदार्थ का मूल्यवर्धन होता है साथ ही पदार्थ लम्बे समय तक खाने योग्य होता है .
अन्य उत्पाद – डेअरी उत्पाद , डिब्बा बंद भोजन , चिप्स, सब्ज़ियों का प्रसंस्करण, तथा पेय पदार्थआदि
खाद्य प्रसंस्करण का महत्त्व
- यह पदार्थो को खराब होने से बचाता है अर्थात पदार्थो की आयु बढाता है
- पदार्थो में पोषक तत्वों को बढानें में (food fortification).
- किसानो को आय बढानें में
- बीमारियों को जन्म देने वाले तत्वों को निकाला जा सकता है जिससे बीमारियों से बचा जा सकता है जैसे मधुमेह से बचने पदार्थो में कृतिम मिठास जिससे केलोरी कम मिले
- रोजगार के अवसर बढ़ते है
- खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना.
- कृषि में विविधता को बढ़ावा देना.
- निर्यात आय को बढ़ावा देना
भारत में खाद्य प्रसंस्करण का महत्त्व
- भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग उत्पादन, खपत, निर्यात और विकास संभावना की दृष्टि से विश्व में सबसे बड़ा उद्योग है।भारत का कृषि उधोग निरंतर ऊचाइयों को छू रहा है यहाँ कृषि अधिक्य है , पदार्थो को सरक्षित करने खाद्य प्रसंस्करण उधोग की महत्ता बढ़ गई है ,
- किसानो की आय दोगुनी करने में .
- भारतीय जीवन शैली में अब ऐसे पदार्थो की मांग बढ़ रही है जो तुरंत खाने योग्य हो जैसे मैगी ,
- भारत के लोगों की प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि होना है, जिसके फलस्वरूप वे उत्कृष्ट गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थों पर खर्च करने की स्थिति में हैं।
- भारत जननांकी लाभांश तथा भारत की तीव्र विकास गति के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण से सम्बंधित उत्पादों की मांग निरंतर बढ़ रही है.
- वैश्वीकरण ने नए खाद्य उत्पादों को भारत में प्रवेश दिया है पिज़्ज़ा , मोमोज , चाओमिन आदि ,
- खाद्य पदार्थो से होने वाले रोगों की अधिकता मधुमेह उच्च रक्तचाप आदि से बचने वाले पदार्थो की जरुरत ,
- हरित क्रांति से रसायनों का उपयोग बढ़ा है किन्तु अब रसायन मुक्त पदार्थो की मांग बढ़ी है ऐसे में खाद प्रसंस्करण का महत्त्व बढ़ जाता है
- अनाजो में पोषक तत्वों की कमी को दूर करने और कुपोषण की समस्या को दूर करने के सहायक के तोर पर महत्त्व
“आत्मनिर्भर भारत अभियान” को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है
खाद्य प्रसंस्करण एवं संबंधित उद्योग
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग विनिर्माण की एक शाखा है जिसमें प्रोधोगिकी और विज्ञान के आधार पर कच्चे माल को मध्यवर्ती और खाने योग्य अंतिम उत्पाद का निर्माण किया जाता है .
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग कृषि और उद्योग के बीच महत्वपूर्ण संपर्क और सहयोग प्रदान करता है। भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग क्षेत्र के उत्पादन, खपत, निर्यात, और विकास की संभावनाओं के संदर्भ में सबसे बड़ा है.।
खाद्य प्रसंस्करण एवं संबंधित उद्योग-
- बेकरी उद्योग, रेडी- ईट फूड, बेवरेजेज,
- खाद्यान्नों की पिसाई यूनिट,
- खाद्य तेल से संबंधित उद्योग,
- फल और सब्जी की पैकेजिंग उद्योग,
- डेयरी, बीयर एवं एल्कोहोलिक पेय पदार्थ, दुग्ध एवं दुग्ध-निर्मित उत्पाद,
- अनाज प्रसंस्करण,
- उपभोक्ता खाद्य वस्तुएँ ; अर्थात् कन्फेक्शनरी, चॉकलेट और कोको उत्पाद, सोया-निर्मित उत्पाद, पानी बोतल प्लांट, उच्च प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ, सॉफ्ट ड्रिंक, खाने और पकाने के लिए तैयार उत्पाद,
- नमकीन, स्नैक्स, चिप्स, बिस्कुट, नूडल्स और इंस्टेंट नूडल्स, एडिबल नट्स प्रसंस्करण और पैकेजिंग, ज़र्दा, पान मसाला उद्योग, डायबिटिक फूड और मसाला उद्योग
खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों का स्थानीयकरण
खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों का स्थानीयकरण कच्चे पदार्थो की उपलब्धता पर निर्भर करते है ये पदार्थ लम्बे समय तक खाने योग्य नही रहते इसलिए जहा उत्पादन होता है वही इन्हें लगया जाता है जैसे की समुद्री कच्चे मॉल मछली – झींगे आदि उद्योग समुद्री तटीय क्षेत्र में , साथ ही अन्य कारण है –
- परिवहन मार्ग/ साधन की उपलब्धता
- कुशल श्रम की उपलब्धता
- उद्योग से संबंधित अवसंरचना – स्टोरेज ,शीत भण्डारण उद्योग
- मांग पर आधारित
योजना –
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन स्कीम (पीएलआईएसएफपीआई)
- मेगा फूड पार्क योजना
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