भारत के प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान और उपलब्धि

भारत के प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान और उपलब्धि

June 23, 2021 0 By rakeshuikey098

भारत के प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान और उपलब्धि मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा के पाठ्यक्रम का टॉपिक है ,इस टॉपिक से सम्बंधित महतवपूर्ण बिन्दुओ को इस आर्टिकल में लिया गया है , यह mppsc 2020 की प्रारम्भिक परीक्षा के लिए उपयोगी है .

भारत के प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान और उपलब्धि

भारतीय ताराभौतिकी संस्थान

  • खगोल ताराभौतिकी एवं संबंधित भौतिकी में शोधकार्य को समर्पित है।
  • 1786 में स्थापित
  • संस्थान का मुख्यालय कोरमंगला, बेंगलूर में
  • संस्थान की प्रमुख प्रेक्षण सुविधायें कोडैकनाल, कावलूर, गौरीबिदनूर एवं हान्ले में स्थापित हैं।

भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र

  • पूर्व नाम – परमाणु ऊर्जा संस्थान, ट्रॉम्बे
  • स्थापना 1954
  • नाभिकिय विज्ञान एवं अभियांत्रिकी एवं अन्य संबन्धित क्षेत्रों का बहु-विषयी नाभीकीय अनुसंधान केन्द्र
  • डॉ. होमी भाभा की मृत्यु के पश्चात इसका नाम भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र रखा .

उपलब्धि

  • अप्सरा – भारत का पहला अनुसन्धान रिएक्टर (ट्राम्बे )
  • ध्रुव रिएक्टर
  • साइरुस रिएक्टर

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)

  • भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन की स्थापना 15 अगस्त 1969 में की गयी थी।
  • भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है जिसका मुख्यालय बंगलौर में है।
  • मुख्य कार्य भारत के लिये अंतरिक्ष सम्बधी तकनीक उपलब्ध करवाना है।
  • अन्तरिक्ष कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों में उपग्रहों, प्रमोचक यानों, परिज्ञापी राकेटों और भू-प्रणालियों का विकास शामिल है।

उपलब्धि

  • भारत का पहला उपग्रह, आर्यभट्ट,19 अप्रैल 1975 को सोवियत संघ द्वारा अंतरिक्ष में छोड़ा गया था। 
  • 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-
  • 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान-2 को श्रीहरिकोटा रेंज से प्रक्षेपित किया।[14
  • 24 सितम्बर 2014 को मंगल ग्रह की परिक्रमा करने वाला मंगलयान
  • गगन अर्थात् जीपीएस ऐडेड जियो ऑगमेंटिड नैविगेशन वायुयान सञ्चालन के लिए .
  • भुवन (नेविगेशन)
  • नाविक (नेविगेशन ) 11 अप्रैल 2018 को इसरो ने नेवीगेशन सैटेलाइट IRNSS लॉन्च किया। यह स्वदेशी तकनीक से निर्मित नेवीगेशन सैटेलाइट है। इसके साथ ही भारत के पास अब अमेरिका के जीपीएस सिस्टम की तरह अपना नेवीगेशन सिस्टम है। 
  • गगनयान मानवयुक्त मिशन
  • 22 जनवरी 2020 को बंगलूरू में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एस्ट्रोनॉटिक्स (IAA) और एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (ASI) के पहले सम्मेलन में इसरो द्वारा मानवयुक्त गगनयान मिशन हेतु एक अर्द्ध-मानवीय महिला रोबोट व्योममित्र को लॉन्च किया।
  • 27 मार्च 2019 को भारत ने मिशन शक्ति को सफलतापूर्वक अंजाम देते हुए एंटी-सैटेलाइट मिसाइल (A-SAT) से तीन मिनट में एक लाइव भारतीय सैटेलाइट को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया।
  • 5 जून 2017 को इसरो ने देश का सबसे भारी रॉकेट GSLV MK 3 लॉन्च किया। यह अपने साथ 3,136 किग्रा का सैटेलाइट जीसैट-19 साथ लेकर गया। इससे पहले 2,300 किग्रा से भारी सैटेलाइटों के प्रक्षेपण के लिये विदेशी प्रक्षेपकों पर निर्भर रहना पड़ता था।  
  • 14 फरवरी 2017 को इसरो ने पीएसएलवी के जरिये एक साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च कर विश्व में कीर्तिमान स्थापित किया।
  • 25 सितंबर 2014 को भारत ने मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक मंगलयान स्थापित किया। इसकी उपलब्धि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत ऐसा पहला देश था, जिसने अपने पहले ही प्रयास में यह उपलब्धि हासिल की। भारतीय मंगलयान मिशन का बजट करीब 460 करोड़ रुपये (6.70 करोड़ डॉलर) था
  • 22 अक्टूबर 2008 को इसरो ने देश का पहला चंद्र मिशन चंद्रयान-1 सफलतापूर्वक लॉन्च किया था।

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का इतिहास

इन्सैट श्रृंखला

  • इन्सैट (इंडियन नेशनल सैटेलाइट सिस्टम) भारत के दूरसंचार, प्रसारण, मौसम विज्ञान और खोज-और-बचाव आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ISRO द्वारा शुरू किए गए बहुउद्देशीय भूस्थिर उपग्रहों की एक श्रृंखला है।
  • 1983 में कमीशन किया गया, इन्सैट एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे बड़ी घरेलू संचार प्रणाली है। यह अंतरिक्ष विभाग, दूरसंचार विभाग, भारत मौसम विज्ञान विभाग, ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन का संयुक्त उपक्रम है।

आईआरएस

  • भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रह (आईआरएस) पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों की एक श्रृंखला है, जो इसरो द्वारा निर्मित, लॉन्च और रखरखाव किया गया है।
  • आईआरएस श्रृंखला देश को रिमोट सेंसिंग सेवाएं प्रदान करती है। भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रह प्रणाली आज दुनिया में ऑपरेशन में नागरिक उपयोग के लिए रिमोट सेंसिंग उपग्रहों का सबसे बड़ा संग्रह है।

आईआरएनएसएस

  • आईआरएनएसएस भारत द्वारा विकसित एक स्वतंत्र क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है। यह भारत में उपयोगकर्ताओं के लिए सटीक स्थिति सूचना सेवा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और साथ ही इसकी सीमा से 1500 किमी तक फैला हुआ क्षेत्र है, जो इसका प्राथमिक सेवा क्षेत्र है।
  • आईआरएनएसएस दो प्रकार की सेवाएं प्रदान करेगा, जैसे कि मानक स्थिति सेवा (एसपीएस) और प्रतिबंधित सेवा (आरएस)।
  • यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा विकसित एक स्वायत्त क्षेत्रीय उपग्रह नेविगेशन प्रणाली है, जो भारत सरकार के कुल नियंत्रण में है।
  • इस तरह के नेविगेशन सिस्टम की आवश्यकता इस तथ्य से प्रेरित है कि ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम जैसे जीपीएस की पहुंच शत्रुतापूर्ण स्थितियों में गारंटी नहीं है।

अंतरिक्ष केंद्र

  • इसरो—
  • विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी), तिरुवनंतपुरम।
  • तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी), तिरुवनंतपुरम।
  • सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी-एसएचएआर), श्रीहरिकोटा।
  • इसरो प्रणोदन परिसर (आईपीआरसी), महेंद्रगिरि।
  • इसरो सैटेलाइट सेंटर (आईएसएसी), बैंगलोर।
  • अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी), अहमदाबाद।
  • नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी), हैदराबाद।
  • इसरो इनर्शियल सिस्टम यूनिट (आईआईएसयू), तिरुवनंतपुरम।
  • विकास और शैक्षिक संचार इकाई (डीईसीयू), अहमदाबाद
  • मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी (एमसीएफ), हासन, कर्नाटक।
  • इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी), बैंगलोर।
  • इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम (एलईओएस), बैंगलोर के लिए प्रयोगशाला।
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (आईआईआरएस), देहरादून।

अंतरिक्ष केंद्र

  • एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन – ISRO, बैंगलोर की मार्केटिंग शाखा।
  • भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL), अहमदाबाद
  • राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान प्रयोगशाला (एनएआरएल), गडंकी, आंध्रप्रदेश
  • उत्तर-पूर्वी अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (NE-SAC), उमियम।
  • सेमी-कंडक्टर प्रयोगशाला (एससीएल), मोहाली।
  • भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (IIST), तिरुवनंतपुरम – भारत का अंतरिक्ष विश्वविद्यालय।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन 

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO, डिफेंस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट ऑर्गैनाइज़ेशन

भारत की रक्षा से जुड़े अनुसंधान कार्यों के लिये देश की अग्रणी संस्था है।

संगठन भारतीय रक्षा मंत्रालय की एक आनुषांगिक ईकाई के रूप में काम करता है।

इस संस्थान की स्थापना 1958 में भारतीय थल सेना एवं रक्षा विज्ञान संस्थान के तकनीकी विभाग के रूप में की गयी थी।

वर्तमान में संस्थान की अपनी इक्यावन प्रयोगशालाएँ हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरण इत्यादि के क्षेत्र में अनुसंधान में कार्यरत हैं।

उपलब्धि

2DG(2 deoxy D glucose)

यह दवा डीआरडीओ के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एप्लाइड साइंस के वरिष्ठ विज्ञैनिकों ने खोजी है. यह एक ग्लूकोज के रूप में है जो कोरोना वायरस की ऊर्जा को खत्म कर उसे निष्क्रिय कर देती है

  • तरंगराडार
  • रुस्तम – मानव रहित तोही विमान

संजय नेत्र – मानवरहित हवाई वाहन

संजय नेत्र – नेत्र पूरी तरह से एक स्वतंत्र, मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) है, जो उड़ता है। इसमें ऐसी विकसित विशेषताएं हैं जो वाहन को न्यूनतम हस्तक्षेप से उड़ाए जाने की अनुमति देती हैं, और इस प्रकार यह वाहन के संचालन के बजाए मिशन के उद्देश्य और क्षेत्र की निगरानी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए इसके उपयोग को सक्षम बनाता है।

मोबाइल संपूर्ण शरीर गणककर्ता (दिव्यदृष्टि)

  • विकिरण पता लगाने
  • रेडियोलॉजिकल और परमाणु दुर्घटनाओं की स्थितियों में कुछ रेडियोन्यूक्लाइड वातावरण में फैल जाते है आतंकवादियों द्वारा किसी भी सेना के प्रतिष्ठान पर रेडिएशन डिस्पर्सल डिवाइस (आरडीडी) के उपयोग की संभावना बहुत अधिक है।
  • किसी भी आतंकवादी संगठन द्वारा आरडीडी के उपयोग की स्थिति में, सैनिक को लड़ाई के लिए फिट रखने के लिए प्रत्येक प्रभावित सैनिक की रेडियोधर्मी संदूषण के प्रति जांच की जानी आवश्यक होगी, ताकि यूनिट में घबराहट को फैलने से रोका जा सके और ट्राइएज संबंधी एवं चिकित्सीय प्रतिक्रिया की निगरानी की जा सके।

भारत के प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान और उपलब्धि

भारत के प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान और उपलब्धि अन्य :-

केंद्रीय चावल अनुसंधान संस्थान – कटक उड़ीसा में

 भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान – लखनऊ उत्तर प्रदेश में

 केंद्रीय वन अनुसंधान संस्थान – देहरादून उत्तराखंड।

 केंद्रीय तंबाकू अनुसंधान संस्थान – राजमंदरी आंध्र प्रदेश में ।

केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान – शिमला हिमाचल प्रदेश ।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान – दिल्ली में।

 भारतीय मौसम विज्ञान संस्थान  – नई दिल्ली में 

 भारतीय खगोल संस्थान – बेंगलुरु कर्नाटक।

 भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण संस्थान – नई दिल्ली में ।

भारतीय पेट्रोलियम संस्थान – देहरादून उत्तराखंड में।

केंद्रीय विद्युत अनुसंधान संस्थान – बेंगलुरु कर्नाटक में ।


अन्य लिंक :-

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